Thursday, October 28, 2010
प्राचीन काल में शूद्रों की नि:शुल्क शिक्षा।
आज की राजनीति में सब कुछ सम्भव है। किसी ने कहा कि कौआ कान ले गया तो बस कौआ के पीछे दौड़ पड़े! जो लोग कहते हैँ कि प्राचीन भारत में शूद्रों को पढ़ने नहीँ दिया जाता था वे इस अंश को देखें :- आपस्तम्ब धर्मसूत्र में एक प्रसंग की विवेचना है कि शूद्रों से आचार्य शिक्षण शुल्क लें या न लें। आपस्तम्ब ने किसी आचार्य का मत दिया है कि 'शूद्र और उग्र से भी शुल्क लेना धर्म-सम्मत है।' सर्वदा शूद्रत उग्रतो वाचार्यार्थस्याहरणं धार्म्यमित्येके। (1 । 2 । 19) लेकिन आपस्तम्ब का मत है कि न लें। यानी निःशुल्क शिक्षा दें। अब कोई बतलायें कि यदि शूद्र को कोई पढ़ाते ही नहीं थे तो यह विवेचना ही क्यों? इस विवेचना का ही अर्थ है कि गुरुकुल में शूद्रों को भी पढ़ाया जाता था।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Where was the Mithila and the capital of King Janak
The site of ancient Mithila प्राचीन काल की मिथिला नगरी का स्थल-निर्धारण (जानकी-जन्मभूमि की खोज) -भवनाथ झा मिथिला क्षेत्र की मिट्टी बहु...
-
.by Bhavanath Jha on Monday, September 20, 2010 at 2:39pm. The genealogical tables or record is called panji-Prabandh or Panji in Mithila. T...
-
मण्डन मिश्र का व्यक्तित्व एवं सिद्धान्त की एक झलक - भवनाथ झा प्रकाशन प्रभारी महावीर मन्दिर, पटना पूर्वजानां सतां लोके स्मरणेनापि सन्मतिः। तस...
-
महान् ज्योतिषशास्त्री डाक मिथिला के थे। कुछ लोग उन्हें बंगाली सिद्ध करने में लगे हुए हैं तो कुछ घाघ के रूप में अवध क्षेत्र का मानते हैं। कुछ...
No comments:
Post a Comment