Monday, October 18, 2010

बसहा बैल

बसहा बैल

दो हट्टे-कट्टे बैल जुते हैं एक गाड़ी में/
गाड़ी पर भी एक बैल ही बैठा/
मस्त मस्त पागुर करता हुआ/
आगे मे धूप-दीप/
सजी है थाल कोमल कोमल दूर्वा से/
बज रहे बाजे/
'जय जय भोले शंकर'/
थाल मे बरसते पैसे, केले, लड्डू, /
गेरुआ धारी दाढ़ीवाले की चमकती आँखें/
जुते बैल की भूखी-प्यासी ऐंठती जीह/
छिला हुआ कंधा/
देखने ठिठक जाता हूँ/
फिर दिखाई देता है एक कूबर उठा हुआ/
गाड़ी में बैठे बैल की गरदन पर/
फूलमाला से सजा हुआ/
तभी बैलोँ पर एक डंडा चल जाता है/
बैल चुपचाप चल पड़ते हैं/
'जय भोलेनाथ'

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