Monday, October 25, 2010
स्वामी रामानन्दाचार्य ने मध्यकाल में समाज के बीच फैले भेद-भाव को मिटाने के लिए घोषणा की :- "जात पाँत पूछे नहि कोई हरि कौ भजै सो हरि सम होई"। उनके 12 प्रधान शिष्य हुए, जिनमेँ कबीर एवं रैदास मध्यकालीन भक्ति-आन्दोलन के स्तम्भ हैं। ऐसे स्वामी रामानन्दाचार्य ने श्रीराम की प्रार्थना करते हुए कहा " सुरासुरेन्द्रादिमनोमधुव्रतैर्निषेव्यमाणाङ्घ्रिसरोरुह प्रभो। असंख्यकल्याणगुणामृतोदधे सुरेश रामाद्भुतवीर्य मापते।" सामाजिक समता के वाहक रामान्दाचार्य के आराध्य श्रीराम हैं।
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Where was the Mithila and the capital of King Janak
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The main peeth of Ramanand Sect and Ramavat Sampraday is Srimath of Panchaganga ghat,kashi. swami ramanandacharya spent most of his life there. Present Jagadguru Ramanandacharya is Swami Ramnareshacharya ji Maharaj. I would like to request you to give some articals about Srimath,Kashi and Swami Ramnareshacharya.
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Pukhraj,Hyd