Book published under supervision of Pt.
Bhavanath Jha, Book Publication Consultant.
Brahmi
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of Manuscript: From Old Devnagari to Modern Davnagari,
From Tirhuta/Mithilakshar to Modern Devnagari.
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Mithilå Bhåratë
Bilingual Quarterly Research
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Web:
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Editors: Dr.
Shiva Kumar Mishra & Shri Bhairab Lal Das.
Year - 2016.
ISSN
2349-834X
सहयोग राशि ` 450.00
(चारि सय पचास टाका मात्र)
Price-
Rs. 450 (Four Hundred Fifty only)
प्रकाशक- मैथिली साहित्य संस्थान, पटना
टाइप सेट एवं सज्जा- भवनाथ झा, ब्राह्मी प्रकाशन
email:
bhavanathjha @gmail.com, phone: 9430676240
मुद्रक- वातायन मीडिया एण्ड पब्लिकेशन्स, प्रा. लि., फ्रेजर रोड,
पटना- 800001
फोन- 0612-2222920, मो. 9431040941
मिथिला भारतीक तेसर भागक संपादकीय आ विषय सूची-
सम्पादकीय
मिथिला भारतीक नवांक शृंखलाक तीन अंकक सफलतापूर्वक प्रकाशन मे विद्वान् लोकनिक सहयोग अनुपम रहल। एहिमे मिथिलाक संस्कृति एवं परम्परा, पुरातत्त्व, भाषा, लिपि प्रभृति विषय सँ सम्बन्धित नव अनुसंधान संदर्भ समेत आलेख सभ प्रकाशित करबाक प्रयास कएल गेल अछि। आशा अछि जे विद्वत् समाजकें हमरालोकनिक प्रयास नीक लगतनि।
एहि तेसर अंक मे किछु नव आ किछु पुरान मुदा शोधपूर्ण आलेख प्रकाशित कएल जा रहल अछि। पुरान आलेख आचार्य परमानन्दन शास्त्रीक ‘मिथिलाक्षरक उत्पत्ति’ नामक आलेख केँ पुनर्मुद्रित कयल जा रहल अछि। एहि आलेखक प्रेरणा साहित्य अकादमी द्वारा अगस्त, 2015 मे आयोजित आचार्य परमानन्दन शास्त्रीक जन्मशताब्दी वर्षक समारोह सँ भेटल। एहि समारोह मे आचार्यजीक व्यक्तित्व, कृतित्व आ लिपिक क्षेत्र मे हुनक योगदान विषय पर शोध आलेख पढ़बाक सुअवसर भेटल छल। शास्त्रीजी ‘मिथिलाक्षरक उत्पत्ति आ विकास’ सऽ सम्बन्धित दस टा शोध आलेख 1960 ई. मे ‘मिथिला मिहिर’क विविध अंक मे प्रकाशित भेल छल जे बड़ बेसी शोधपरक आ ज्ञानवर्द्धक अछि। आशा अछि जे लिपिसँ सम्बन्धित शोधार्थी लोकनिक लेल आ लोक सेवा आयोगक परीक्षाक अभ्यर्थीगणक लेल बेसी लाभप्रद भऽ सकत। एहि आलेख सभक अध्ययनक प्रेरणाक लेल साहित्य अकादमी विशेष रूपसँ मैथिलीक प्रतिनिधि प्रोफेसर डा. श्रीमती वीणा ठाकुरक प्रति आभार। ‘मिथिला मिहिर’क उपर्युक्त अंक सभकें उपलब्ध करबामे एकटा दोसरे आनन्दक अनुभूति भेल। आदरणीय गुरुवर प्रोफेसर डा. भीमनाथ झाक सहयोग आ डा. अवनीन्द्र कुमार झा, शोधार्थी, दरभंगा, आ डा. सुशान्त कुमार झा, शिक्षक, बेगूसरायक परिश्रम सऽ ई अंक सभ उपलब्ध भय सकल।आभार।
मिथिला भारतीक दोसर अंकक लोकार्पण सह व्याख्यानक कार्यक्रम जे 12 दिसम्बर 2015 कऽ मैथिली साहित्य संस्थानक तत्त्वावधान मे आयोजित कएल गेल छल ताहिमे प्रोफेसर प्रफुल्ल कुमार सिंह ‘मौन’जीक ‘नेपालीय मैथिलीक विकास मे संस्थागत योगदान’ विषय पर व्याख्यान सेहो भेल छल। संगहि, 8 जनवरी 2016 कऽ मैथिली दिवसक अवसर पर श्री गजानन मिश्रक (भा.प्र.से.) ‘मिथिलाक माँटि-पानि: समस्या आ संभावना’ विषय पर शोध आलेख पढ़ल गेल छल। दूनू आलेख के एहिमे प्रकाशित कएल जा रहल अछि। सौभाग्यक विषय अछि जे मिथिलाक वरिष्ठ साहित्यकार पं. गोविन्द झाक आलेख प्रकाशित कय हमरालोकनि गौरवान्वित छी।
राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्लीक महानिदेशक डा. बुद्धरश्मि मणि महोदयक संग वैशालीक संग्रहालय आ आन-आन पुरास्थलक भ्रमणक क्रम मे वैशाली संग्रहालय मे देशक सभसँ पुरान, दुर्लभ, कुशाणकालीन शौचालय पैन देखल गेल जे पाकल माटिक बनल अछि। ई पैन एहि बातक साक्ष्य अछि जे मिथिलामे स्वच्छता आ शौचालयक प्रति लोक कतेक साकांक्ष छलाह। एहि पर शोध आलेख तैयार करबाक भार ओहि संग्रहालयक सहायक अधीक्षण पुरातत्त्वविद् डा. जलज तिवारी केँ देल गेल जे आलेख एहि अंक मे अछि।
आदरणीय गुरुवर प्रो. डा. रत्नेश्वर मिश्र अपन शोध आलेख लय पहिलुक अंक जकाँ एहि अंक केँ सेहो सहयोग देलनि अछि। आभार।
एहि वर्ष मिथिलाक कतोक क्षेत्रसँ दुर्लभ प्रतिमा आ शिलालेख सभ भेटल अछि एहिमे ओकरा समुचित स्थान देबाक प्रयास कयल गेल अछि। वर्णरत्नाकर केँ एकटा राजशास्त्रीय ग्रन्थ सिद्ध करबाक प्रयास डा. शंकरदेव झा द्वारा कयल गेल अछि। एकर संगहि कनाडा विश्वविद्यालयक प्रो. आनन्द मोहन शरण, प्रो. समरेन्द्र नारायण आर्य, डा. उदयनाथ झा अशोक द्वारा क्रमशः शक संवत्, पर्यावरण आ वेद एवम् वत्सगोत्रीय प्रवरविचार सँ सम्बन्धित शोधपूर्ण आलेख केँ स्थान देल गेल अछि।
बौद्धस्थलक विवेचना आ स्वातन्त्रय आन्दोलनमे मैथिली साहित्यक अवदानक चर्चा कें स्थान देल गेल अछि। संगहिं डा. अशोक कुमार सिन्हा द्वारा झिझियाक पुरातात्त्विक अध्ययन पर आलेख सेहो एतए संकलित अछि। डा. पंकज कुमार झा ‘वैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’क सामाजिक संदर्भ’ विषय पर तथ्यपरक विश्लेषण उपलब्ध करौलनि अछि, सेहो एहि मे अछि।
पद्मश्री उषाकिरण खान द्वारा दिनांक 28 मई, 2016 कऽ सोनदाइक सोहाग नामक पत्रात्मक उपन्यासक लोकार्पण करैत ‘स्त्री-विमर्श’ पर व्याख्यान देल गेल, जकरा ‘पुस्तक समीक्षा’ नामक अध्याय मे स्थान देल गेल अछि। संगहिं डा. सुशान्त कुमारक दरभंगा प्रक्षेत्रक पाषाण प्रतिमा नामक नवीनतम शोध-ग्रन्थक समीक्षा सेहो प्रस्तुत कयल जा रहल अछि।
दुःखक संग कहय पडै़त अछि जे पछिला अंकमे अन्वेषणक अध्याय मे कुलहरिया, बाबूबरही, मधुबनीक जाहि उमा-महेश्वरक विलक्षण प्रतिमाक प्रकाशन कयल गेल छल, दिनांक 3 सितम्बरक राति मे तस्कर द्वारा गायब करबाक प्रयास कयल गेल मुदा अन्धराठाढ़ीक पुलिसक नजरि पड़लनि आ प्रतिमा भेटि गेल। तदुपरान्त थाना अदालतक दौड़-बरहा प्रतिमा लऽ कऽ भय रहल अछि, मुदा मैथिल बुद्धिजीवी वर्ग धरोहरक प्रति उदासीन रहलाह। एहिना विदेश्वर स्थानक शिवमन्दिर आ सहरसाक संग्रहालय सँ महात्मा बुद्ध आ ताराक प्राचीन आ दुर्लभ प्रतिमाक अतिरिक्त कतोक प्रतिमा सभ तस्करीक भेंट चढ़ि गेल मुदा कतहु सँ कोनो संवेदना नहिं जागल। तहिना राजनगर, भौरागढ़ी आ दरभंगाक वास्तुकलाक क्षरण आ दुर्दशा पर सेहो ई समाज निःस्पृह बनल रहल। एहना स्थितिमे भविष्यक पीढ़ीक वास्ते हम कोनो थाती कोना बचा कऽ राखि सकब।
अन्त मे सम्पादक मण्डलक विद्वान् लोकनिक प्रति आभार, जनिक सहयोगक विना मिथिला भारतीक प्रकाशन असम्भव अछि। पुरालेख विशेषज्ञ पं. भवनाथ झाक विद्वत्ता आ तकनीकी ज्ञानक सहयोग हरदम भेटैत रहल अछि। धन्यवाद। शोधज्ञलोकनि सँ पुनः आग्रह जे गम्भीर अनुसंधान कऽ मिथिला भारती के सहयोग दय दीर्घायु बनावथि।
सम्पादकगण
विषय-सूची
1. मिथिलाक नऽव भेटल किछु दुर्लभ पुरावशेष - शिव कुमार मिश्र 1