Friday, January 20, 2017

Miracle of Gems Therapy by Dr. Binadanand Jha "Vishwabandhu"

Thursday, January 5, 2017


Miracle of Gems Therapy by Dr. Binodanand Jha "Vishwabandhu"

Book published under supervision of Pt. Bhavanath Jha, Book Publication Consultant.
Brahmi Publication Consultancy, Patna
We provide
1.       Pre-publication works in English, Hindi, Maithili and Sanskrit- Typing, formatting, designing, digital printing of pre-published book, cover designing, font issue, pdf to text conversion, indexing, Downloading & Printing of rare book from internet. Proof reading, Review writing &etc.
2.       E-book making
3.       Printing of Book
4.       Transcription of Manuscript: From Old Devnagari to Modern Davanagari, From Tirhuta/Mithilakshar to Modern Devanagari.
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Phone: 9430676240
MIRACLE OF GEMS THERAPY
14th SERIES OF OCCULT SCIENCE FOR THE MASSES
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Dr.  Binodanad Jha “Vishwabandhu”
                   B.COM (HONS) M.A.B.L MDEH HMM (HONS)
                    Astrologer, Gemologist, & Homoeopath
Dr. B N JHA
ASHRAM, OCCULT HOUSE, WEST OF S.P’S BUNGLOW,
SRINAGARHATA, PURNIA, BIHAR, INDIA
(M) PH.9936595506 -09473129595./9504721777
Sri P. K. JHA  FLAT NO.-02,
TULSI VIHAR, PLOTNO. 55, SECTOR-19,  KHARGHAR,
NAVI MUMBAI-410210 (M) PH. 9869844756

SRI P, K JHA 
STAFF Qr. NO. 3/2  NIFT, 
PATNA 800001
E-mail:- bnjha1936@Yahoo.co.in, bnjha1936@Yahoo.co.in
All Rights reserved
First Edition - 200            
 JANUARY  2017
DONATION PRICE - Rs. 250/
    
FROM THIS BOOK-
Look at the hands of people around you in the 20th and 21st century. The miracle of gems has caught them. There are ‘scientific’ minded people who are ashamed to think that gems can have any effect on men.  Man is a product of osmosis of the physical and the mental. The body and the mind are equally part of our life. They inter penetrate each other. We cannot now restrict ourselves to the metrics of I.Q. We are compelled to admit E.Q. into the comprehensive understanding of human life.
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Saral Chikitsa by Dr. Binodanad Jha "Vishwabandhu"

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सरल चिकित्सा
मैथिली
लेखक- डॉ. बिनोदानन्द झा विश्वबन्धु
वर्ष: 2017
सर्वाधिकार सुरक्षित
प्राप्ति स्थान-
1 आश्रमहाउस न- 038/129
एस- पी- कोठी के पश्चिमश्रीनगर हातापूर्णियाँबिहार
2 श्री पी के झा फ्लैट न0-02, तुलसी बिहारप्लौट न0-55,
सेक्टर-19, खारधरनवी मुम्बई-410210
3 श्री पी के झा
आफिसर्स फ्लैट न0-304, नेशनल इस्टिच्यूट फ फैशन टेक्नोलोजी
पटना-800001
दूरभाष- 09931595506, 09869844756, 09473129595, 8877576842
पी पी बन्दना झा

Email:   bnjha1936@yahoo.co.in, pkjhaji@yahoo.co.inPkjhaji@gmail.com
सहयोग दान राशि- 100/
मुद्रक- वातायन मीडिया एण्ड पब्लिकेशन्सप्रा. लि.फ्रेजर रोड पटना- 800001
फोन: 0612-2222920मो- 9431040914

(मैथिलीमे तकनीकी विषय पर पुस्तक लेखनक क्षेत्र मे ई पुस्तक महत्त्वपूर्ण अछि। होम्योपैथी पद्धतिसँ चिकित्साविषयक ई पुस्तक मैथिली भाषा साहित्यक लेल लेखकक अनुपम योगदान अछि।)
लेखकक प्राक्कथन
हमरा होम्योपैथी दवाइपर विश्वास एकदम नइं छल। 1962मे कटिहारमे हमरा पेट खराब भ गेल तँ एलोपैथीमे क्लोरोस्टेप लेबा लजा रहल रही। श्री मिस्टरबाबूक संग छला। ओ होम्योपैथीक डाॅक्टर कत गेला ओ डाॅक्टर हमरा एक खुराक दवाइ आग्रह कऽ खुआ देलनि। ओ दवाइ रामबाण जेना काज केलक आर हमरा पेट ठीक भऽ गेल। होम्योपैथी पर विश्वास जमऽ लागल। हम ओकर पुस्तक खरीदलपढाइ कऽ कऽ डिग्रीयो लेलहुँ दवाइ रखनाइ प्रारंभ कऽ देल।आर अपन परिवार तथा निजी लोकक होम्योपैथी सँ इलाजो करऽ लगलौ।

Thursday, January 5, 2017

Sondaika Sohag: Maithili Novel by Dayanand Mallik

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सोनदाइक सोहाग (मैथिली उपन्यास)
SONDAIK SOHAG: Maithili Novel by Dayanand Mallik, Edited by Ramakant Rai 'Rama', Published by Esamad, Darbhanga, 2016,  150.00

लेखक- दयानन्द मल्लिक
प्रकाशन वर्ष- 2016 ई.
प्रति 300
© श्री जय चन्द्र भगवती, ग्राम एवं पोस्ट-मेघौल, जिला-मधुबनी
संग्रहण एवं संपादन - श्री रमाकान्त राय रमा
संयोजन -श्री भैरव लाल दास
आवरण ओ साज-सज्जा- श्री भवनाथ झा, पटना
प्रकाशक- इसमाद, मातृ सदन,कटहलबाड़ी, दरभंगा–846004, फोन नं.-08541815531

सहयोग राशि- 150.00 (एक सय पचास) टाका मात्र
मुद्रक Impression Publication, Salimpur Ahra 'Baulia, Kadamkuan, Patna-800003

मूलतः मेघौल, मधुबनी निवासी एवं खाजासराय, दरभंगाक रहवासी जयवल्लभ मल्लिक, दयानन्द मल्लिक (द.न.म.) उपनामे मैथिली लेखनमे संलग्न रहल छलाह। हिनक तीन गोट रचनाक सूचना अछि क्रमशः नारी सँ, एक मुट्ठी छाउर आ सोनदाइक सोहाग। ...

Mithila Bharati, vol.3, 2016

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Mithilå Bhåratë
Bilingual Quarterly Research Referral Journal
B-402, Shri Ram kunja Apartment, Road No.- 4,
Mahesh Nagar, P.O. Keshri Nagar, Patna, 800024.
Phone: 09430606724 & 09835884843
Email : blds412@gmail.com & skmishra2612@gmail.com
Web: www.maithilisahityasansthan.org
Editors: Dr. Shiva Kumar Mishra & Shri Bhairab Lal Das.
Year - 2016.
ISSN 2349-834X
सहयोग राशि `  450.00 (चारि सय पचास टाका मात्र)
Price- Rs. 450 (Four Hundred Fifty only)
प्रकाशक- मैथिली साहित्य संस्थान, पटना
टाइप सेट एवं सज्जा- भवनाथ झा, ब्राह्मी प्रकाशन
email: bhavanathjha @gmail.com, phone: 9430676240
मुद्रक- वातायन मीडिया एण्ड पब्लिकेशन्स, प्रा. लि., फ्रेजर रोड, पटना- 800001
फोन- 0612-2222920, मो. 9431040941

मिथिला भारतीक तेसर भागक संपादकीय आ विषय सूची-
सम्पादकीय
मिथिला भारतीक नवांक शृंखलाक तीन अंकक सफलतापूर्वक प्रकाशन मे विद्वान् लोकनिक सहयोग अनुपम रहल। एहिमे मिथिलाक संस्कृति एवं परम्परा, पुरातत्त्व, भाषा, लिपि प्रभृति विषय सँ सम्बन्धित नव अनुसंधान संदर्भ समेत आलेख सभ प्रकाशित करबाक प्रयास कएल गेल अछि। आशा अछि जे विद्वत् समाजकें हमरालोकनिक प्रयास नीक लगतनि। 
एहि तेसर अंक मे किछु नव आ किछु पुरान मुदा शोधपूर्ण आलेख प्रकाशित कएल जा रहल अछि। पुरान आलेख आचार्य परमानन्दन शास्त्रीक ‘मिथिलाक्षरक उत्पत्ति’ नामक आलेख केँ पुनर्मुद्रित कयल जा रहल अछि। एहि आलेखक प्रेरणा साहित्य अकादमी द्वारा अगस्त, 2015 मे आयोजित आचार्य परमानन्दन शास्त्रीक जन्मशताब्दी वर्षक समारोह सँ भेटल। एहि समारोह मे आचार्यजीक व्यक्तित्व, कृतित्व आ लिपिक क्षेत्र मे हुनक योगदान विषय पर शोध आलेख पढ़बाक सुअवसर भेटल छल। शास्त्रीजी ‘मिथिलाक्षरक उत्पत्ति आ विकास’ सऽ सम्बन्धित दस टा शोध आलेख 1960 ई. मे ‘मिथिला मिहिर’क विविध अंक मे प्रकाशित भेल छल जे बड़ बेसी शोधपरक आ ज्ञानवर्द्धक अछि। आशा अछि जे लिपिसँ सम्बन्धित शोधार्थी लोकनिक लेल आ लोक सेवा आयोगक परीक्षाक अभ्यर्थीगणक लेल बेसी लाभप्रद भऽ सकत। एहि आलेख सभक अध्ययनक प्रेरणाक लेल साहित्य अकादमी विशेष रूपसँ मैथिलीक प्रतिनिधि प्रोफेसर डा. श्रीमती वीणा ठाकुरक प्रति आभार। ‘मिथिला मिहिर’क उपर्युक्त अंक सभकें उपलब्ध करबामे एकटा दोसरे आनन्दक अनुभूति भेल। आदरणीय गुरुवर प्रोफेसर डा. भीमनाथ झाक सहयोग आ डा. अवनीन्द्र कुमार झा, शोधार्थी, दरभंगा, आ डा. सुशान्त कुमार झा, शिक्षक, बेगूसरायक परिश्रम सऽ ई अंक सभ उपलब्ध भय सकल।आभार।
मिथिला भारतीक दोसर अंकक लोकार्पण सह व्याख्यानक कार्यक्रम जे 12 दिसम्बर 2015 कऽ मैथिली साहित्य संस्थानक तत्त्वावधान मे आयोजित कएल गेल छल ताहिमे प्रोफेसर प्रफुल्ल कुमार सिंह ‘मौन’जीक ‘नेपालीय मैथिलीक विकास मे संस्थागत योगदान’ विषय पर व्याख्यान सेहो भेल छल। संगहि, 8 जनवरी 2016 कऽ मैथिली दिवसक अवसर पर श्री गजानन मिश्रक (भा.प्र.से.) ‘मिथिलाक माँटि-पानि: समस्या आ संभावना’ विषय पर शोध आलेख पढ़ल गेल छल। दूनू आलेख के एहिमे प्रकाशित कएल जा रहल अछि। सौभाग्यक विषय अछि जे मिथिलाक वरिष्ठ साहित्यकार पं. गोविन्द झाक आलेख प्रकाशित कय हमरालोकनि गौरवान्वित छी।
राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्लीक महानिदेशक डा. बुद्धरश्मि मणि महोदयक संग वैशालीक संग्रहालय आ आन-आन पुरास्थलक भ्रमणक क्रम मे वैशाली संग्रहालय मे देशक सभसँ पुरान, दुर्लभ, कुशाणकालीन शौचालय पैन देखल गेल जे पाकल माटिक बनल अछि। ई पैन एहि बातक साक्ष्य अछि जे मिथिलामे स्वच्छता आ शौचालयक प्रति लोक कतेक साकांक्ष छलाह। एहि पर शोध आलेख तैयार करबाक भार ओहि संग्रहालयक सहायक अधीक्षण पुरातत्त्वविद् डा. जलज तिवारी केँ देल गेल जे आलेख एहि अंक मे अछि। 
आदरणीय गुरुवर प्रो. डा. रत्नेश्वर मिश्र अपन शोध आलेख लय पहिलुक अंक जकाँ एहि अंक केँ सेहो सहयोग देलनि अछि। आभार।
एहि वर्ष मिथिलाक कतोक क्षेत्रसँ दुर्लभ प्रतिमा आ शिलालेख सभ भेटल अछि एहिमे ओकरा समुचित स्थान देबाक प्रयास कयल गेल अछि। वर्णरत्नाकर केँ एकटा राजशास्त्रीय ग्रन्थ सिद्ध करबाक प्रयास डा. शंकरदेव झा द्वारा कयल गेल अछि। एकर संगहि कनाडा विश्वविद्यालयक प्रो. आनन्द मोहन शरण, प्रो. समरेन्द्र नारायण आर्य, डा. उदयनाथ झा अशोक द्वारा क्रमशः शक संवत्, पर्यावरण आ वेद एवम् वत्सगोत्रीय प्रवरविचार सँ सम्बन्धित शोधपूर्ण आलेख केँ स्थान देल गेल अछि।
बौद्धस्थलक विवेचना आ स्वातन्त्रय आन्दोलनमे मैथिली साहित्यक अवदानक चर्चा कें स्थान देल गेल अछि। संगहिं डा. अशोक कुमार सिन्हा द्वारा झिझियाक पुरातात्त्विक अध्ययन पर आलेख सेहो एतए संकलित अछि। डा. पंकज कुमार झा ‘वैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’क सामाजिक संदर्भ’ विषय पर तथ्यपरक विश्लेषण उपलब्ध करौलनि अछि, सेहो एहि मे अछि।
पद्मश्री उषाकिरण खान द्वारा दिनांक 28 मई, 2016 कऽ सोनदाइक सोहाग नामक पत्रात्मक उपन्यासक लोकार्पण करैत ‘स्त्री-विमर्श’ पर व्याख्यान देल गेल, जकरा ‘पुस्तक समीक्षा’ नामक अध्याय मे स्थान देल गेल अछि। संगहिं डा. सुशान्त कुमारक दरभंगा प्रक्षेत्रक पाषाण प्रतिमा नामक नवीनतम शोध-ग्रन्थक समीक्षा सेहो प्रस्तुत कयल जा रहल अछि।
दुःखक संग कहय पडै़त अछि जे पछिला अंकमे अन्वेषणक अध्याय मे कुलहरिया, बाबूबरही, मधुबनीक जाहि उमा-महेश्वरक विलक्षण प्रतिमाक प्रकाशन कयल गेल छल, दिनांक 3 सितम्बरक राति मे तस्कर द्वारा गायब करबाक प्रयास कयल गेल मुदा अन्धराठाढ़ीक पुलिसक नजरि पड़लनि आ प्रतिमा भेटि गेल। तदुपरान्त थाना अदालतक दौड़-बरहा प्रतिमा लऽ कऽ भय रहल अछि, मुदा मैथिल बुद्धिजीवी वर्ग धरोहरक प्रति उदासीन रहलाह। एहिना विदेश्वर स्थानक शिवमन्दिर आ सहरसाक संग्रहालय सँ महात्मा बुद्ध आ ताराक प्राचीन आ दुर्लभ प्रतिमाक अतिरिक्त कतोक प्रतिमा सभ तस्करीक भेंट चढ़ि गेल मुदा कतहु सँ कोनो संवेदना नहिं जागल। तहिना राजनगर, भौरागढ़ी आ दरभंगाक वास्तुकलाक क्षरण आ दुर्दशा पर सेहो ई समाज निःस्पृह बनल रहल। एहना स्थितिमे भविष्यक पीढ़ीक वास्ते हम कोनो थाती कोना बचा कऽ राखि सकब।
अन्त मे सम्पादक मण्डलक विद्वान् लोकनिक प्रति आभार, जनिक सहयोगक विना मिथिला भारतीक प्रकाशन असम्भव अछि। पुरालेख विशेषज्ञ पं. भवनाथ झाक विद्वत्ता आ तकनीकी ज्ञानक सहयोग हरदम भेटैत रहल अछि। धन्यवाद। शोधज्ञलोकनि सँ पुनः आग्रह जे गम्भीर अनुसंधान कऽ मिथिला भारती के सहयोग दय दीर्घायु बनावथि।
सम्पादकगण
विषय-सूची
1. मिथिलाक नऽव भेटल किछु दुर्लभ पुरावशेष - शिव कुमार मिश्र 1





Tourist Directory: Sikh Circuit, Bihar

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Sikh Circuit in Bihar

Tourist Directory: Sikh Circuit, Bihar
Sikh Circuit in Bihar
A Guide book for Gurudwaras in Bihar along with the history and story of all Sikh Gurus in Hindi.
Edition : 2016
(C) All right reserved: Shangum MassCommunications Pvt. Ltd., Patna
Vision, Research, compilation and written by : Ravi Sangam
Scanned, Designed and composed by: Bhavanath Jha
Inner page Photographs: by Shangum Mass Communications Pvt. Ltd., Patna

Price: Rs. 200.00

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Bhavakautukam of M.M. Ravinatha Jha,

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म.म. रविनाथझाविरचितम्
भावकौतुकम्
(व्याकरणसूत्रपरिष्कारप्रदर्शकम्)
Bhavakautukaî of M.M. Ravinåtha Jhå, A refinement and analysis of 13 Sýtras of Påïini's Aúûådhyåyë, in the style of Navya-nyåya methodology, edited by Dr. Sadanand Jha, Darbhanga, 2015
सम्पादकः
डॉ. सदानन्द झाः
व्याकरणविभागाध्यक्षः,
जे. एन. बी. आदर्शसंस्कृतमहाविद्यालयः,
लगमा-रामभद्रपुरम्, दरभङ्गा (बिहारः) 
परिष्कृतं प्रथमं संस्करणम्200 प्रति
© प्रकाशकः
प्रकाशनवर्षम्2015 ई.
पृष्ठम्  14+178
मूल्यम्` 400
ISBN 13-978-81-928652-9-4
प्रकाशकः
शशिनाथ झा
ड्यौढ़ी पश्चिमम्,
शुभङ्करपुरम्, दरभङ्गा 846006
मो. 9199475909
टाइपसेटभवनाथ झा, पटना, Mob:9430676240
                     bhavanathjha@gmail.com

Veda Sań Loka Dhari [From Sacred to Mundane] by Govinda Jha in Maithili language.

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वेद सँ लोक धरि
Veda Sań Loka Dhari [From Sacred to Mundane] by Govinda Jha in Maithili language.
लेखक- गोविन्द झा
सम्पर्क: 9334102305; 9431460793
© गोविन्द झा
प्रथम संस्करण 2016
प्रति 200 (दू सए मात्र)
मूल्य- रु.175 (एक सए पचहत्तरि टाका मात्र)
प्रकाशक- ब्राह्मी प्रकाशन, द्वारा- भवनाथ झा, हटाढ़ रुपौली, झंझारपुर, मधुबनी, 847404
                 Email: bhavanathjha@gmail.com, Phone : 9430676240

आदिकथा
प्रस्तुत पुस्तक वर्तमान स्थितिक वर्णन थिक। अतीत दिस तकैत छी तँ देश मे, विशेष कए विदेह मे, दू समाजक अद्भुत सगम लक्षित होइछ। पहिल आदिम आ दोसर वैदिक। दूनूक प्रतीक थिक मैथिलीक प्रसिद्ध युग्मशब्द लोकवेद। लोक थिक नाना जाति-प्रजातिक बहुरंगी विशाल समुदाय। सभक अपन-अपन कर्म, धर्म, संस्कृति आ शासन। वेद थिक चारि वर्णवाला वैदिक समाज। चारूक धर्म आ शासन एक, किन्तु कर्म भिन्न-भिन्न। पहिल अर्थात् आदिम समाजक सर्वसामान्य धर्म छल तान्त्रिक-सह-शैव। ई सम्प्रदाय अफगानिस्तान मे किरातजन बीच जन्म लेलक तहिं शिव कर्पूर-सन गोर आ पार्वतीक नाम गौरी। काश्मीर एहि धर्म कें दर्शन बनाए देलक- पाशुपत दर्शन वा काश्मीरी शैव दर्शन। पौराणिक त्रिदेव मे शिव तँ रहि गेलाह, हुनक गौरी नारी सँ नर ब्रह्मा भए गेलीह परन्तु काज ओएह रहलनि सृष्टि करब। काश्मीर सँ चलल ई तान्त्रिक-सह-शैव सम्प्रदाय भुटान, नेपाल होइत भारत पहुँचल तँ गौरी कें भेटलथिन कोलजनक एक सखी। देहक वर्ण पर नाम भेलनि काली। हिनका संग बहुत रास डाइनि-जोगिनि (डाक-डाकिनी, शाकिनी, योगिनी) आ ओझा-गुनी छलथिन। ई लोकनि नाना तरहक यन्त्र, मन्त्र, तन्त्र (धार्मिक जादू), टोना-टापर (लौकिक जादू) जनैत छलाह। ई तान्त्रिक-सह-शैव सम्प्रदाय कोनो वर्गविशेषक नहि, पूर्ववर्णितसकल कर्मजीवी समाजक छल। एकरा लोकधर्म कहि सकैत छी, जेना लोकाचार।
ई लोकधर्म कालक्रमें एक ठाम रहैत-रहैत वैदिक समाज मे सेहो सन्हिआए गेल। एहि दूनूक संगम सँ वैदिक समाज, विशेष कए मिथिला पंचदेवोपासक भए गेल- शक्ति, शिव, सूर्य, अग्नि आ विष्णु। एहि प्रकारें समन्वित धर्मक नाम भेल सनातन धर्म। शिव-पार्वतीक दिव्य दाम्पत्य नर-नारीक लौकिक दाम्पत्यक प्रतिमान भए गेल आ अन्ततः नर-नारीक ई मधुर संगम सिद्धिक एक नव पन्थ भए गेल जकर मूर्धन्य साधक आ मार्गदर्शक भेलाह चैतन्य महाप्रभु।
फेर आउ पूर्वक प्रसंग पर। आचार्य बुद्धदेव वैदिक परम्परा कें हिंसा सँ मुक्त कए कालक्रमें दशम अवतार होएबाक महान् प्रतिष्ठा प्राप्त कएल - केशव धृतबुद्धशरीर जय जगदीश हरे। जन्मस्थान विदेह मे नैष्ठिक लोकनि कें अहिंसा आ सदाचारक पाठ पढ़ाए अपन नव धर्मक प्रचार करए गंगाक ओहि पार चलि गेलाह।
कालक्रमें बुद्धदेवक संघ दू फाँक भए गेल। बहुसंख्य फाँक महायान कहओलक आ तत्काल लोक बीच प्रचलित तान्त्रिक-सह-शैव धर्महि कें बौद्ध धर्म बनाए लेलक। शिवक नव नाम भेल म×जुश्री, गौरीक नाम तारा। बुद्ध साक्षात् ईश्वर मानल जाए लगलाह आ नैष्ठिक लोकनिक नाना देवी-देवता नाम बदलि-बदलि विविध बोधिसत्व बनैत गेलाह।
संघक अल्पसंख्यक फाँक हीनयान बुद्धदेव कें ईश्वर नहि, आदर्श महापुरुष मानल आओर हुनक उपदेश आ दर्शन कें आदर्श धर्म। हीनयान ठामहि रहल। महायान तिब्बत पहुँचि ओहि ठामक तान्त्रिक-सह-शैव सम्प्रदाय कें बौद्ध धर्मक नामें प्रचारित करैत, नेपाल, भूटान, भारत, चीन होइत जापान धरि पहुँचल। अनेक शतकक एहि महा(अभि)यान मे गौरी तारा भए गेलीह आ हुनक स्थान लेलनि एक नव देवता ब्रह्मा। नव दर्शन विकसित भेल- तीन गुण आ तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु, महेश। ई महायान पूर्वी द्वीप पहुँचल तँ एक द्वीपक नाम भेल बर्मा (आजुक म्याङ मेर)। एही संग दूनूक बीच मे वैदिक विष्णु आसन पाओल। ़
अन्ततः देश मे ने वैदिक धर्म रहल, ने बौद्ध धर्म, दूनूक स्थान लेलक सनातन धर्म (जकरा मुसलमान सभ हिन्दू धर्म कहए लागल)। सम्प्रति मिथिला मे गौरी-शंकर लोकक देवता छथि आ लक्ष्मी-नारायण वेदक देवता। सार रूप मे इएह भेल वेद सँ लोक धरिक आदिकथा। 

04.07.2016                         गोविन्द झा

Where was the Mithila and the capital of King Janak

The site of ancient Mithila प्राचीन काल की मिथिला नगरी का स्थल-निर्धारण (जानकी-जन्मभूमि की खोज)  -भवनाथ झा मिथिला क्षेत्र की मिट्टी बहु...