Tuesday, November 2, 2010

Tradition of Dipavali in Mithila

तीन प्रकारक जे रात्रि कालरात्रि, महारात्रि आ मोहरात्रि कहल गेल अछि ताहि में पहिल कालरात्रि दीपावली थिक। मिथिलामे ई गृहस्थक लेल महत्त्वपूर्ण अछि। आई जखनि बहुत मैथिल बन्धु बाहर रहैत छथि, बहुतो गोटे परम्परा सँ अनभिज्ञ छथि तखनि हुनका लोकनिक लेल एतए हम मिथिलाक परम्पराक उल्लेख करैत छी। परदेसमे एकर निर्वाह तँ कठिन अछि मुदा जानकारी अधलाह नहिं। बहुत विधि छैक जे कएल जा सकैत अछि।
मिथिलामे दीपावली कें सुखराती कहल जाईत अछि। सन्ध्याकाल गोसाउनिक पूजा कए दुआरि पर अरिपन दए चौखटि पर दीप जराओल जाइछ। दुआरिक वामाकात उनटल उखरि पर सूपमें पानक पात आ धान राखल जाइत अछि। पुरुष गण ऊक हाथ में लए दुआरि पर आबि ओ धान तीन बेर घरक भीतर छीटैत छथि आ कहैत छथिन :-
धन-धान्य लए लक्ष्मी घर जाउ, दारिद्र्य बहार होउ।'

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