पटना में पुस्तक
प्रकाशन की सुविधा
पटना में पहली
बार पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में क्रान्ति ।
लेखकों एवं
प्रकाशकों के लिए पूरी सुविधा
भाषा एवं विषय
के विशेषज्ञ की देखरेख में।
1. कम्पोजिंग, प्रूफ रीडिंग, डिजायनिंग
आज से 20 वर्ष पूर्व तक पुस्तक प्रकाशन में यह स्थिति थी कि
मुद्रक ही कम्पोजिंग, प्रूफ और छपाई तीनों के लिए जिम्मेदार होते थे। आज कम्प्यूटर
के आ जाने से प्रकाशन के क्षेत्र में यह स्थिति बदल चुकी है। यह कहीं भी अपनी
पुस्तक की कम्पोजिंग, प्रूफ, डिजायनिंग करवा सकते हैं और ई-मेल के जरिये दूरस्थ
प्रेस को भेजकर छपाई करा सकते हैं। शास्त्रीय विषय के ग्रन्थों में indexing की भी सुविधा हम देते हैं, इसके लिए
लेखकों को कोई परेशानी नहीं रहेगी। एक स्थान पर यदि किताब बनकर तैयार हो जाती है
तो अपनी इच्छा से किसी भी प्रेस में केवल छपाई के लिए दे सकते हैं।
हमारे यहाँ कम्पोजिंग का कार्य विषय एवं
भाषा के जानकार की देखरेख में होने के कारण लेखकों को प्रूफरीडिंग के क्रम में
गलतियाँ कम-से-कम मिलेंगी। प्रकाशित पुस्तकों की डिजिटल कापी सुरक्षित रखना हमारी
जिम्मेदारी होगी, जिससे दूसरे संस्करण के समय उन्हें फिर से सारा कार्य न करना
पडे। दूसरे संस्करण में लेखक जो भी संशोधन, परिवर्द्धन करना चाहेंगे, यह संभव
रहेगा।
अभी तक देवनागरी के लिए उपलब्ध फोंट ट्रू
टाइप हैं जो भविष्य के लिए सुरक्षित तथा इंटरनेट की दुनियाँ के लिए उपयुक्त
नहीं हैं। देवनागरी के लिए बननेवाले Optical
Character Recognition Tool भी हिन्दी यूनिकोड के लिए बने हैं। लेखक
यदि इंटरनेट की दुनियाँ के लिए उपयुक्त पुस्तक प्रकाशित करना चाहें ताकि उनकी
पुस्तक को Web Search Engine खोज सके तो उसकी भी सुविधा
उपलब्ध है।
2. डिजिटल बुक्स (ई-बुक्स)
1.
नवीन रचनाओं
का डिजिटल पब्लिकेशन- आज कम्प्यूटर के युग में
यह भी सम्भव है कि किताब बनाकर उसे कागज पर प्रकाशित करने के बजाय इंटरनेट के
माध्यम से प्रसारित कर सकते हैं। इस माध्यम से डिजिटल बुक की बिक्री भी हो रही है।
पुस्तक के कुछ पृष्ठ वेबसाइट पर डालकर पाठक को आकर्षित कर सकते हैं। पाठकों की राय
लेकर बाद में प्रकाशित किया जा सकता है।
2.
पूर्व-प्रकाशित
रचनाओं का डिजिटल पब्लिकेशन- पूर्व में
प्रकाशित रचनाओं का डिजिटल संस्करण बनाकर उसे वेबसाइट के जरिये विश्व भर के पाठकों
तक पहुँचाया जा सकता। इस डिजिटल संस्करण से आर्थिक लाभ भी लिया जा सकता है। आज
अनेक ऐसी कम्पनियाँ हैं जो इस प्रकार की पुस्तक बिक्री के लिए शामिल करते हैं और
लाभांश का प्रतिशत लेखक को देते हैं। इसके लिए पूर्व प्रकाशित पुस्तक का स्कैनिंग
कर उससे डिजिटल बुक बनाने की आवश्यकता होती है जो वेबसाइट के मानक के अनुकूल हो।
3.
पूर्व
प्रकाशित ग्रन्थों का उसी रूप में पुनर्मुद्रण- पूर्व-प्रकाशित ग्रन्य़ों का मानक रूप में स्कैनिंग कर उसे फिर से उसी रूप में
आरम्भ में भूमिका लिखकर छापा जा सकता है।
4. डिजिटल बुक की प्रिंटिंग एवं बाइन्डिंग
यह कार्य शोधार्थियों, विद्वानों, लेखकों के लिए उपयोगी है।
आज विश्व भर के अनेक पुस्तकालयों में स्थित डजारों दुर्लभ ग्रन्थों के डिजिटल
संस्करण वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। उन्हें डाउनलोड कर, एक प्रति प्रिंट कर अध्ययन कर
सकते हैं किन्तु उन्हें उचित आकार में, पुस्तक के रूप में प्रिंट करने एवं बाइंडिग
कराने में विशेष कौशल की आवश्यकता होती है। हम यह सुविधा पाठकों को प्रदान करते
हैं।
5. भाषण, प्रवचन आदि श्रव्य-माध्यम से देवनागरी में कम्पोजिंग का कार्य
हिन्दी, संस्कृत, मैथिली इन तीन भाषाओं के लिए यह सुविधा
यहाँ उपलब्ध है। लम्बे-लम्बे भाषण का ऑडियो फाइल हमें दीजिए, हम पुस्तक बनाकर आपको
देंगे।
6. प्राचीन पाण्डुलिपि से सीधे देवनागरी में कम्पोजिंग का कार्य
मिथिलाक्षर अथवा प्राचीन देवनागरी की प्राचीन पाण्डुलिपियों से कम्पोजिंग की
भी यहाँ सुविधा उपलब्ध है।
7. शोधार्थियों के लिए विशेष सुविधा
विश्वविद्यालय की पीएच.डी. डिग्री के लिए संस्कृत, हिन्दी एवं मैथिली भाषा के
शोध- प्रबन्धों का कम्पोजिंग, बाइन्डिंग तथा
अन्य प्रकार के सलाह के लिए विशेष सुविधा उपलब्ध है।
अन्य प्रकार के भी प्रकाशन समाधान के लिए सम्पर्क करें-
भवनाथ झा
खास
महल मोड, पोस्टल पार्क रोड, पटना
Mob: 9430676240
Email: bhavanathjha@gmail.com
प्रकाशन एवं शोध पदाधिकारी
(‘धर्मायण’ पत्रिका के
सम्पादक)
महावीर मन्दिर, पटना
No comments:
Post a Comment