Saturday, March 22, 2014


संघाराममे आइ गोहरिया सभक बेसी आबा-जाही छल। कारण जे आइ बुद्धपूर्णिमा रहैक। ओहि अवसरपर विशेष हवनकुण्ड बनल रहय आ अनेक श्रमण गोहरिया सभसँ सम्पर्क कए रहल छलाह। आजुक दिन संघारामक लेल विशेष आयक अवसर छल। दूर-दूरसँ हाथी-घोड़ाक रथ आ पालकीसँ सजि-धजिक' महारानी आ महाराज लोकनि सेहो आबथि। किनकहु पुत्रक गोहारि छलनि तँ केओ दूर देशस्थ कोनो राजकुमारीक आकर्षण कए हुनका अपन अंकशायिनी बनयबाले' श्रमणलोकनिक चमत्कारक लाभ लेबाक लोभसँ आयल रहथि। किनकहु मन्त्रक बलें शत्राुकें पकडि अनबाक छलनि तँ केओ शत्रुसँ आक्रान्त भए संघारामक शरणमे आयल छलाह।
पार्श्ववर्तीगामक राजा हस्तिकर्णदेवक सबारी जखनहि कदलीवनक द्वारपर आयल कि दूटा श्रमण हुनका दिल लपकलाह। ई पाँच गामक राजा रहथि आ महाराजके ँ अपन उपजाक छठम भाग कर देथि। दसटा योद्धा आ एक सचिवक अनुमति भेटल रहथि ते ँ ओएह सचिव कोषाध्यक्षसँ लए नर्मसचिव धारि रहथिन्ह। महाराज रथपर बैसले रहथि, किन्तु हुनक सचिव उतरि श्रमण सभ लग पहुँचलाह आ कहलथिन्हङ्क''महाराज आबि गेल छथि। यज्ञ कखनि होएत?''
-''पहिने यज्ञक उद्देश्य तँ बाजू?''
-''महाराजके ँ शत्रु बड़ तंग करैत छथिन। काल्हि हिनक आमक गाछी लुटबाए लेलथिन। सभ चण्डलबा दू बिगहाक कलम झाँटि-पीटि चौपट्‌ट कए देलक। एहन मन्त्र फुकू जे सभ मरि जाए।''
-''भए जाएत। अहाँ निश्चिन्त रहू।'' मुदा एहि लेल हवन सामग्रीमे गायक पित्त आ मनुक्खक अस्थि चाही। एहिसँ हवन होएत सेहो रातिमे। कदलीवनक अग्नि कोणमे जगह देखाए दैत छी। ओतए एकटा श्रमण साधक रहताह। हुनक निर्देशनमे सभटा व्यवस्था करबाउ। संघारामक शुल्क एक दीनार जमा कए दियौक।''
हस्तिकर्णक इसारापर सचिव दीनार निकालि ओहि श्रमणके देलथिन। तालपत्रपर लिखल अनुमति पत्र लेलनि आ दोसर श्रमणक संग कदलीवनक इंगित स्थान दिस बढि गेलाह।
एही क्रमें अनेक महाराज अबैत गेलाह आ ओहि श्रमणक संग वार्ता होइल गेलनिङ्क
महाराज-२
-''श्रमण महाशय, वटग्रामके राजकुमारीक आनयन कर्म।''
-''महिषक मांस चाही। निशीथमे आकर्षण कराय देब।''
-''वेश लिय' एक दीनार आ स्थान देखाउ।''
महाराज-३
-''शत्रुक सेना हमर सीमामे घर बना रहल अछि। ओकर उत्सादन करएबाक अछि।''
-''भए जाएत। कुकुरक माँसक आयोजन करू। एम्हर ओकर आहुति पड़ल आ ओम्हर ओ सभ भागि जाएत।''
-''वेश। लिय' शुल्क आ स्थान देखाउ।
महाराज-४
-''हमर राज्यक श्रेष्ठि संघक प्रधान... महाराज लजाइत छथि।''
-''निःसंकोच भए कहू। एतए कोनो भय नहि।'' महाराज श्रमण कानमे कहैत छथिन्ह, हमर राज्यक श्रेष्ठिसंघक प्रधानक पुत्रवधू हमरासँ गर्भवती भए गेल छथि। हुनक पति विदेशमे छथिन। ओहि गर्भवतीक मारण कर्म कराए हमरा लोकलाजसँ बचाउ। जे माँगब से दक्षिणा देब।''
-''भए जाएत। मनुष्यक माँस, गिद्धक पाँखि आ ओहि स्त्रीक तैलचित्रक व्यवस्था करू। एकटा गर्भवती अजा सेहो चाही। निशीथमे ई साधान होयत।''
-''वेश लिय' शुल्क। आ अहाँ अपनहि कराए दी से हमर प्रार्थना।''

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